यीशु मसीह कौन है
आज का सवाल (who is jesus) अपने आप में बेहद अहम है। हो सकता है कि आपको यानी बाइबल में चलने वाले सच्चा मसीही, इस सवाल का जवाब पता है, लेकिन ऐसे भी बहुत सारे मसीही हैं, जिन्हें इस जवाब के बारे में जानकारी नहीं है। उन मसीहों के लिए यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए कृपया धैर्य के साथ संपूर्ण आर्टिकल पड़े। मानव इतिहास में सबसे अधिक पूछे जाने वाले प्रश्नों में से एक कि who is jesus? और आज इंटरनेट पर सबसे अधिक शोध किए जाने वाले प्रश्नों में से भी एक, यह है कि यीशु कौन हैं? (who is jesus) यीशु कौन थे? इस विषय पर ईसाई और गैर -ईसाई दोनों लेखकों द्वारा कई किताबें लिखी गई हैं। विश्व में कई धर्मों में यीशु के बारे में अलग-अलग राय हैं, कुछ कहते हैं कि यीशु एक भविष्यवक्ता था। कुछ कहते हैं कि यीशु एक अच्छे शिक्षक था।
कुछ कहते हैं कि यीशु एक ज्ञानी व्यक्ति था। कुछ कहते हैं कि यीशु एक मध्यस्थ था। कइ एक काल्पनिक व्यक्ति, आज हमारे देश में गली गली के लोग जानते हैं कि यीशु अंग्रेजों के ईश्वर (भगवान) हैं, यानी ईसाइयों के ईश्वर (भगवान) हैं। मेरे प्रिय, लगभग 2000 हजार वर्ष पहले और यही प्रश्न कई लोगों ने पूछा था। एक दिन प्रभु यीशु ने स्वयं अपने शिष्यों से पूछा, जैसा कि यह वाक्य कहता है;(मत्ती 16:15)। ये सवाल कोई नया सवाल नहीं है, तो मसीह क्या होने का दावा करता हैं! बाइबल के अनुसार वह कौन है? (यूहन्ना 10:30)। इन वाक्य में यीशु ने स्पष्ट रूप से ईश्वर होने का दावा किया। लेकिन यीशु के इस दावे के परिणामस्वरूप यहूदियों यीशु को मारने के लिए पत्थर उठा लिया। जैसे ही पत्थर यहूदियों ने उठाया, यीशु ने उन लोगों से पूछा कि मुझे पत्थर क्यों मारना चाहते हो? (यूहन्ना 10:32)।
Is Jesus God
यह कथन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि यहूदी समझ गये कि यीशु परमेश्वर होने का दावा कर रहे हैं। परन्तु यहां यीशु ने यहूदियों को यह नहीं कहा, कि मैं ने कब कहा, कि मैं परमेश्वर हूं! यानी मैं और मेरे पिता एक ही हैं। शायद आप लोग ग़लत सुना है। यीशु ने ऐसी कोई बात नहीं कही, जिसका अर्थ है कि यीशु परमेश्वर था। यीशु मसीह जो दावा कर रहे थे, वह यह है कि मैं और पिता एक हैं! तो यीशु मसीह ही परमेश्वर था। एक दिन यहूदी यीशु से बहस कर रहे थे, तब यीशु ने यहूदियों से कहा कि मैं वही हूँ जो इब्राहीम पैदा होने से पहले था। (यूहन्ना 8:58) अर्थात्, यहाँ यीशु ने स्वयं को “मैं हूँ” नाम से सम्बोधित करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कथन था।
यह कथन बाइबल में परमेश्वर कि दैवत्व से संबंध को संदर्भित करता है। यह कथन हमें पुराने नियम में मिलता है, जिससे हमें स्पष्ट हो जाता है कि यीशु कौन है (who is jesus) हां यीशु ही परमेश्वर था। पुराने नियम में, परमेश्वर ने मूसा को इसी नाम से परिचय दिया था, जैसा कि यह वचन कहता है; (निर्गमन 3:14)।
Doubting Thomas
एक दिन जब यीशु मृतकों में से जी उठे और चेलों को दिखाई दिए, तो थोमा नाम के एक चेला था जिसको दीदुमुस नाम से भी जाना जाता था (यूहन्ना 20:24)। चेलों ने आकर थोमा से कहा, हम ने प्रभु को जीवित देखाहै। जब थोमा ने चेलों से यह सुना तो विश्वास नहीं हुआ। थोमा ने कहा, “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के निशान नहीं देख लेता, अर निशानों में अपनी उंगलियां नहीं डाल देता, और उसकी पसलियों में अपना हाथ नहीं डाल देता,” “मैं बिल्कुल भी विश्वास नहीं करूंगा।” थोमा अपने निर्णय पर अडिग था। थोमा ने तब तक किसी भी बात पर विश्वास करने से इनकार कर दिया जब तक उसने यीशु को अपनी आँखों से नहीं देखा।
आठ दिन बाद, जब चेलों एक कमरे में थे, थोमा उनके साथ थे। यीशु अचानक बंद कमरे में आये;(यूहन्ना 20:26)।
यहाँ इस बात का प्रमाण है कि यीशु कौन है (who is jesus) यीशु चमत्कारिक ढंग से बंद कमरे में दाखिल हुए। यदि वह परमेश्वर नहीं था तो वह उस बंद कमरे में कैसे घुस आया! यहां से भी इस बात का प्रमाण मिलता है कि वह स्वयं परमेश्वर था। परमेश्वर में एक ही समय में सभी के सामने प्रकट होने की क्षमता है। इस कारण यीशु मसीह ने कहा कि; जहां मेरे नाम से एक या तीन लोग मिलते हैं वहां में उनमें रहता हूं (मत्ती 18:20)। यीशु के पास वह शक्ति है, मान लीजिए मैं भारत से यीशु को से विनती कर रहा हूं, कोई अमेरिका, नेपाल से, कोई इजराइल से, यीशु एक ही समय में सबके सामने प्रकट हो सकते हैं। इसका प्रमाण यीशु बंद कमरे में प्रवेश प्रमाणित कर चुका है। यीशु ने आकर थोमा से कहा; “यहां अपनी उंगलियों से मेरे हाथों को देखो और मेरी पसलियों को छूओ। अविश्वास मत करो बल्कि विश्वास करो।”
थोमा ने यीशु को देखा और विश्वास किया, देखने के बाद थोमा ने यीशु को परमेश्वर कहकर संबोधित किया (यूहन्ना 20:28)। यहां यीशु ने थोमा को यह नहीं कहा कि तुम क्या कर रहे हो? मैं कोई परमेश्वर नहीं हूं, तुम मुझे परमेश्वर क्यों कहते हो! क्या तुम नहीं जानते कि परमेश्वर एक ही है,दूसरा कोई परमेश्वर नहीं है; (व्यवस्थाविवरण 4:35, 4:39, यशायाह 45:5)। यीशु ने यह सब बचन दिखाकर थोमा से कुछ कहा था? यानी थोमा को सुधारा था? आप कहेंगे कि यीशु ने कभी ऐसा कुछ नहीं कहा। परन्तु यीशु ने थोमा का संबोधन स्वीकार कर लिया, क्योंकि वह परमेश्वर था। और पिता परमेश्वर यीशु की पूर्णता की घोषणा करता है, अर्थात्, यीशु परमेश्वर था (इब्रानियों 1:8)।
इस वचन में पिता परमेश्वर, पुत्र को परमेश्वर कहकर संबोधित कर रहे हैं। पुराने नियम की भविष्यवाणी भी यीशु को परमेश्वर होने का दावा करती हैं; (यशायाह 9:6)। यह बात कई वचन की सहायता से सिद्ध की जा सकती है कि यीशु परमेश्वर था। इसके अलावा, यीशु ही परमेश्वर होने का सर्वोच्च प्रमाण यह वचन है; (यूहन्ना 1:1)। यदि हम इस वचन को आमचल भाषा में कहे तो, ऐसा इस वचन कहां जा सकता है की आदि में यीशु था, और यीशु परमेश्वर के साथ था, और यीशु परमेश्वर था। इस वचन का परिपक्व प्रमाण यह है कि; (यूहन्ना 1:14) यह वचन सिद्ध करता है कि यीशु परमेश्वर था।