Christians celebrate Diwali:दिवाली अर्थ,दिवाली कहानी,बाइबिल परिप्रेक्ष्य
आज का विषय यानी क्या मसीही दिवाली मना सकते हैं (Can Christians celebrate Diwali) उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो दूसरे धर्म (हिंदू धर्म) से मसीह में आए हैं। जब वह लोग आकर मसीह को विश्वास करके स्वीकार किया। बाद में जब दिवाली (दीपावली) आती है तो उनके सामने कई सवाल आते हैं, कि अब मुझे क्या करना चाहिए? क्या मैं अब उसे त्यौहार को मना सकती हूं या नहीं! चर्चा से पहले कुछ तथ्य जान लेते हैं,तब विषय वस्तु को समझने में आसानी होगी। भारत में दिवाली/दीपावली क्या है? इस बारे में भारत में कोई अनजान नहीं है क्योंकि छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर कोई इसे त्यौहार के बारे में जानता है। भारत में हिंदू आबादी (बहुसंख्यक) अधिक है इसलिए हर कोई इस त्योहार से अवगत है। भारत एक त्योहारों का देश है।
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दीपावली का अर्थ
दीपावली शब्द संस्कृत दो शब्दों “दीप” और “आवली” से मिलकर बना है। “दीप” शब्द का हिंदी अर्थ है; “दीपक” और “आवली” शब्दों का हिंदी अर्थ है; “श्रृंखला” अर्थात दीपावली शब्द का अर्थ है; दीपकों की श्रृंखला। पांच दिवसीय हिंदू धार्मिक त्योहार है जो धनतेरस, नरक चतुर्थी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज। इसके अलावा, जैन, सिख और बौद्ध भी इस दौरान इसी तरह के त्योहार मनाते हैं। यह त्यौहार आश्विन माह में कृष्ण त्रयोदशी के दिन धनतेरस के साथ शुरू होता है, अर कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीय तिथि को भाई दूज समारोह के साथ समाप्त होता है। नवरात्रि या बंगालियों का दुर्गो पूजा समाप्त होने के 20 दिन बाद शुरू होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, दिवाली अक्टूबर के मध्य और नवंबर के मध्य के बीच मनाई जाती है। भारतीय समाज का दृढ़ विश्वास बुराई का दमन और सदाचार का पालन या न्याय के सामने अन्याय की पराजय है।
दिवाली त्योहार पालन करने के बारे में उपनिषद व्याख्यान है, आप उसे श्लोक को देख सकते हैं बृहदारण्यक उपनिषद् 1/3/28
Diwali Story (दीपावली पौराणिक कथा)
दिवाली मनाने के पीछे कई पौराणिक कहानी है:
- भगवान राम की घर वापसी
- मां लक्ष्मी का जन्मदिन
- श्री कृष्ण ने नरकासुर को वध किया था
- जैन धर्म के महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया।
- सिख गुरु हरगोबिंद ने हिंदू राजपूतों को मुगल सम्राट जहांगीर से मुक्त कराया था।
- बुद्ध ने इसी दिन निर्वाण प्राप्त करने के लिए घर छोड़ा था।
भगवान राम की घर वापसी: रामायण के अनुसार, श्री रामचन्द्र अपने पिता के आदेश को पूरा करने के लिए सीता के साथ चौदह वर्ष के लिए वनवास में चले गये थे। राम के भाई लक्षणा उसके साथ भी गया था। कहानी में, राक्षस राजा लंकेश्वर रावण सीता का अपहरण कर लेता है और उन्हें सोने की लंका में ले जाता है। सीता को वापस आने के लिए श्रीराम रावण से युद्ध करते हैं, तब सीता को वापस पाती हैं। त्रेता युग के दिन श्री राम अयोध्या लौटे और इस अवसर पर अयोध्या के निवासियों ने उस विशेष रात को अपने प्रियजनों को वापस पाकर खुशी मनाई। पूरे राज्य में दीप जलाकर का राम, सीता, लक्षणा को स्वागत किया गया। कहा जाता है इस खास दिन पर वे यानी अयोध्या के निवासियों ने पटाखे या आतिशबाजी, तरह-तरह की आतिशबाजी फोड़ के स्वागत किया था। तभी से दीवाली मनाई जाती रही है।
इसलिए यह शुभ दिन हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा जो बाद में पूरे भारत में फैल गया।
देवी लक्ष्मी का जन्मदिन: पुराण के अनुसार, कई लोग मानते हैं कि, इस दिन देवी लक्ष्मी का विवाह भगवान विष्णु से हुआ था, इसलिए कई हिंदू घर दिवाली पर घर में लक्ष्मी नारायण की पूजा करते हैं। दूसरी ओर, मां लक्ष्मी का जन्म इसी दिन हुआ था इसलिए घर में मां लक्ष्मी के आगमन पर जन्मदिन मां लक्ष्मी पूजा की जाती है।
श्री कृष्ण ने नरकासुर को वध किया था: यह कहा जाता है कि द्वापर युग में नरकासुर एक राक्षस था। सभी राज्यों पर विजय प्राप्त करने के बाद, स्वर्ग ने हमला किया और अदिति देवी के बलियाॅं चुरा लिया और 16,000 पत्नियों का अपहरण कर लिया। सभी देवता कृष्ण से प्रार्थना करते हैं। बाद में कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से नरकासुर का वध किया और अदिति की सोने की अंगूठियों के साथ 16000 पत्नियों को बचाया। भगवान कृष्ण मांग से ही नरकासुर की मृत्यु का रंग बिरंगी रोशनियाॅं जशन मनाया गया था। इसलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। बाद में श्रीकृष्ण ने उन 16000 पत्नियों को पत्नी बना लिया। इस दिन पूर्वी भारत को छोड़कर संपूर्ण भारत में लक्ष्मी-गणेश पूजा का विधान है।
जैन धर्म के महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया: जैन धर्म के लोगों के लिए जैनियों के अनुसार, इस विशेष दिन पर, जैन धर्म के उपदेशक और संस्थापक महावीर ने 527 ईसा पूर्व में निर्वाण या मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह दिन जैन लोगों का दीये या मोमबत्तियाँ जलाकर रोशनी करते हैं।
सिखों का त्यौहार मनाने का कारण: इस विशेष दिन पर छटे सिख गुरु हरगोबिंद जो मुगल सम्राट जहांगीर से स्वेच्छा से 1 वर्ष की अवधि के लिए कारागार में कैद था। उन्हें रिहा कर दिया गया, लेकिन रिहाई के बाद भी उन्होंने कारागार छोड़ने से इनकार कर दिया और शर्त रखी कि मुगल सम्राट द्वारा कैद किए गए 52 अन्य हिंदू राजाओं को भी उनके साथ रिहा किया जाना चाहिए। मुगल सम्राट जहांगीर ने इन सभी शर्तों को स्वीकार कर लिया और इस विशेष दिन पर अपने साथ 52 हिंदू राजाओं को भी रिहा कर दिया। 1619 ई. में सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद, 52 हिंदू राजकुमारों दिवाली पर दीन के आजाद होने के कारण सिख भी इस त्योहार को मनाते हैं।
बौद्ध मोक्ष प्राप्त किया था: कई लोगों का मानना है कि बुद्ध ने इसी दिन निर्वाण प्राप्त करने के लिए अपना घर छोड़ा था। और इसलिए बौद्ध इस दिन दीपक या मोमबत्तियाँ जलाकर बुद्ध को याद करते हैं।
बुराई को दूर करने के लिए दीपकों जलाए जाते हैं और पटाखे भी फोड़ा जाता है। खासकर उत्तर भारत में दिवाली के दौरान नए कपड़े पहनने, परिवार और दोस्तों के बीच मिठाइयां बांटने का भी रिवाज है। हमने देखा है कि इस त्यौहार का अन्य धर्मों से गहरा संबंध है। अभी हम देखेंगे बाइबल इसके बारे में क्या कहती है।
क्या ईसाइयों को दिवाली मनाना चाहिए? (Christians celebrate Diwali)
यह त्यौहार अन्य धर्मों के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन ईसाइयों के लिए नहीं है। क्योंकि बाइबल स्पष्ट रूप से मना करती है, जैसा कि यह वचन कहती है; (इफिसियों 4:17, यिर्मयाह 10:2 )। बाइबल कहती है कि जब हम अविश्वासी थे, हम अविश्वास के न्याय चलते थे, परन्तु अब हम प्रभु यीशु मसीह के पास आए हैं। परमेश्वर या यीशु मसीह को विश्वास के साथ स्वीकार कर लिया है। हम पहले की तरह कोई संस्कृत या परंपरा कुछ भी नहीं कर सकते क्योंकि अब हम नई सृष्टि हैं (2 कुरिन्थियों 5:17)। यहां हम विश्वासियों के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्होंने विश्वास के द्वारा परमेश्वर को प्राप्त किया है। हम ने परमेश्वर को पहिन लिया है, और पुराने को उतारकर नए बन गए हैं। उस अर्थ में, हम अन्य जातियां की तरह कुछ नहीं कर सकते, परमेश्वर के वचन के अनुसार, हमें पवित्र होना चाहिए (लैव्यव्यवस्था 11:44, इफिसियों ५:८)।
अब हम प्रत्येक मसीही प्रभु यीशु का प्रतिनिधि करते हैं, और यदि हम गलत रास्ते पर चलते हैं, तो नया मसीही जिसने अभी-अभी यीशु मसीह को ग्रहण किया है, वह यीशु मसीह में अपना विश्वास कैसे मजबूत या परिपक्व रख सकता है! वह आपको देखते ही भटक जा सकता है, उसे ईसाई धर्म और अन्य धर्म में भी अंतर नहीं दिखेगा। उन नया मसीही को सभी धर्म एक समान लगेंगे। यानी वह विश्वासियों और अविश्वासियों के बीच अंतर नहीं देख पाएंगे। इसका मतलब यह है कि एक मसीही अन्य धर्मों की सभी चीजें कर सकता है, यह गलत है बाइबल इसको पाप कहती है। कई मसीही कहते हैं कि ठीक है मान लिया कि यह त्यौहार मानना नहीं चाहिए। लेकिन उसे दिन यानी दिवाली का दिन, अगर कोई अविश्वासी प्यार के लिए घर पर आए और मिठाइयां या उपहार लाए, और दिवाली की शुभकामनाएं दे तो मुझे क्या करना चाहिए?
क्या मैं उन अविश्वासी मित्रों, की मिठाइयों, उपहारों ले सकता हूँ? या मैं दिवाली की शुभकामनाएं दे सकता हसकता हूँ? बहुत अच्छा प्रश्न। बेशक मिठाइयाँ, उपहार ले सकते हैं लेकिन उससे पहले सब कुछ विस्तार से बता दें। अगर प्रसाद के रूप में मिठाई दी जाए तो दृढ़ता से मना कर सकते हैं, कि मैं इसे नहीं ले सकती हूं। लेकिन दिवाली की शुभकामनाएं न देना ही बेहतर है। यदि मसीही दिवाली का शुभकामनाएं देते हैं, इसका अर्थ होता है कि आप मानते हैं कि परमेश्वर के अलावा कोई परमेश्वर है। हो सकता है कुछ मसीही कहें, नहीं नहीं मैं इस पर विश्वास नहीं करता। लेकिन जो भी आपको दिवाली की शुभकामनाएं देता है उन्हें तो विश्वास है। जब कोई आपको दिवाली की शुभकामनाएं देता है, आप उसे समय कह सकते हैं कि परमेश्वर आपका आशीष करें। क्योंकि तुम परमेश्वर के अतिरिक्त किसी अन्य भगवान या परमेश्वर को नहीं मानते।
यदि आप वास्तव में इसे प्यार के रूप में मित्रों से कुछ ले रहे हैं तो आप उस व्यक्ति को विस्तार से बताना चाहिए। मेरे प्रिय, मैं परमेश्वर के अलावा किसी और भगवान में विश्वास नहीं करता। और न ही मैं दिवाली पर्व नाम की कोई चीज़ मनाता हूं, इसलिए मेरी आस्था आपको अपनी किसी भी मान्यता को अपनाने की इजाजत नहीं देती है। इसलिए क्षमा करें मैं आपका विश्वास साझा नहीं कर सकता (Christians celebrate Diwali)। उनको यह भी कह सकते हो कि ऐसा नहीं है कि मैं आपकी आस्था को कोस रहा हूं या देवताओं को छोटा कर रहा हूं, ऐसा बिल्कुल नहीं। आप चाहे तो उसे मौके पर ही समाचार सुना सकते हैं, यह सच है कि उसे दिन बहुत से लोगों के पास कुछ भी सुनने का समय नहीं होता। क्योंकि उस समय हर कोई व्यस्त होता है।
निष्कर्ष
मेरे प्रिय भाई और बहनों हमने इस ब्लॉक पोस्ट आर्टिकल में देखा है कि क्या मसीही दिवाली मना सकते है (Can Christians celebrate Diwali) या नहीं। यह ठीक है की बाइबिल में सीधे तौर पर इसके बारे में कुछ नहीं लिखा है, लेकिन अन्य जातियों की परंपराएं या त्योहार से सचेत करती हैं। इससे यह साबित होता है कि परमेश्वर नहीं चाहती है कि विश्वासी अन्य जातियों की तरह भ्रांति में पड़े रहे। परमेश्वर चाहते हैं कि मसीही अन्य जातियों से लग रहे और परमेश्वर की साबकाई में लग रहे।
FAQ'S Diwali संबंधित कुछ सवाल
इस विषय पर मसीही का कुछ सवाल रहते हैं, हम चाहते हैं उस सवालों का कुछ प्रकाशन डालें। सवाल – जवाब:
Q.1 – क्या दिवाली मानने से उधर खो सकते हैं?
Ans – बिल्कुल नहीं।
Q.2 – क्या दिवाली मनाने से मसीह स्वर्ग नहीं जा सकते हैं?
Ans – इस विषय पर बाइबल पर सीधे तौर पर तो कुछ नहीं लिखा है, लेकिन यह जानना चाहिए कि आप दिवाली क्यों मनाना चाहते हो वजह क्या है! परमेश्वर आपका मन जानते हैं।
Q.3 – क्या मसीहों की दिवाली मानना पाप है?
Ans – जी बिल्कुल पाप है।
Q.4 – क्या मसीह दिवाली की प्रसाद खा सकते हैं?
Ans – बिल्कुल नहीं।
Q.5 – क्या मसीही दिवाली के दिन मिठाई/उपहार ले सकती है?
Ans – जी ले तो सकती है, लेकिन इससे पहले जो व्यक्ति दे रहे हैं उनको अपने विश्वास के बारे में विस्तार से बताना चाहिए।